आजकल की तकनीको में एक नई तकनीक जो की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है इसके बारे में बहुत ज्यादा चर्चा हो रही है। दुनिया के अधिकतर देशो की बड़ी – बड़ी कंपनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत ज्यादा रिसर्च कर रही है रिसर्च होने के कारण इसे आने वाले भविष्य की नयी तकनीक कहा जा रहा है और आईये जानते है की इसे भविष्य की तकनीक क्यों कहा जा रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्योकि आने वाले समय में इस फिल्ड में बहुत से युवाओं को रोजगार व इसमें काम कर रहे लोगो के ज्ञान में भी बढ़त होगी जिससे की आने वाली पीढ़ी को इन किये गए कामो का फ़ायदा उता पायेगे और यह कहा जा रहा है कि इसे भविष्य की तकनीक कहा जा रहा है
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य की तकनीक
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है
आसान से शब्दों मे कहे तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सरलतम अर्थ है की एक ऐसी मशीन जिसमे एक आदमी जैसी सोचने समझने और फैसले लेने की शक्ति का विकास करना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कम्प्यूटर विज्ञान का सबसे उन्नत रूप का एक नमूना माना जाता है और इसमें एक ऐसा दिमाग बनाया जा रहा है जिसमे कम्प्यूटर अपने आप ही सोच और समझ सके जिससे की कम्प्यूटर मशीनों में भी इंसानों जैसा सोच और समझ सके।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदे
इसे भविष्य की तकनीक कहा जा रहा है क्योकि इससे पूरी दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव आयेगा जैसे की गूगल द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लेकर एक कार बनाने पर रिसर्च भी शुरू कर दी गयी है जीससे की आने वाले समय में बिना ड्राईवर के भी करे चल सकेगी , और ये कारे बिना ड्राईवर केवल सेंसर की मदद से चल सकेंगी जिससे की सड़को की दुर्घटनाए भी कम और हो ना के बराबर हो जाएगी हालाँकि ये रिसर्च अभी प्रोसेसिंग में है और इसमें कुछ सालों का समय लग सकता है इसके अलावा हेल्थ और डिफेंस,इंडस्ट्रीइन्धास्ता आदी सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है ।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नुकसान
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केबारे में बहुत ज्यादा चर्चा हो रही है की इस तकनीक के आ जाने से फ़ायदा या नुकसान हो सकता है यदि इस तकनीक के आ जाने से मशीने अगर खुद ही निर्णय लेने लगी तो मशीनों की इंसानों पर से निर्भरता ख़त्म हो जाएगी इससे दूसरा डर यह भी होगा की मशीने अपने आप निर्णय लेने लगी तो इंसानों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकती है इसके इलावा इंसानों और मशीनों में प्रतिस्पर्धा भी हो सकती है बता दें कि हाल ही में Facebook की टीम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर रिसर्च कर रही थी, इसी दौरान दो मशीनों ने आश्चर्यजनक रुप से आपस में कम्यूनिकेट करना शुरु कर दिया। इस दौरान मशीनों ने कोई खास कोडिंग भाषा डेवलेप कर ली और आपस में बातें करना शुरु कर दिया था।
इससे यह पता चलता है की जो काम आज इंसान कर सकता है वो कल मशीने करने लगेगी और वो भी इंसानों की मदद के बिना मशीने इंसानों के लिए बहुत तरह के खतरे पैदा कर सकती है जो आज एक इंसान दूसरे इंसान के लिए करता है। इसलिए यह वजह है की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर उम्मीदों के साथ ही आशंकाएं भी जुड़ी हुई हैं। हालाँकि यह तो भविष्य में ही पता चलेगा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इंसानों के लिए कारगर रही या फिर नुकसानदायक।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम कैसे बनाये
- Python. पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल Artificial Intelligence के प्रोग्राम को बनाने में सबसे ज्यादा यूज किया जाता है क्योंकि पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना बहुत ही आसान है इसके सेंटेक्स बहुत ही सिंपल होते हैं।
- जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज
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